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Has Molvi Zia al Mustafa become a Kafir?

A few months back Molvi Zia al Mustafa Rizvi accepted that Molvi Sanabil Raza Hashmati calls former as a ‘sulah Kulli”. Molvi Zia al Mustafa was very angry at this accusation as Sanabil Raza Hashmati did not provide any shari’i evidence to prove his accusation. In return, Molvi Zia al Mustafa Rizvi accused Molvi Sanabil Raza Hashmati of marrying a deobandi girl from a deobandi house. Molvi Zia al Mustafa Rizvi did not provide any evidence to prove his claim.

The entire audio can be heard at the following clips:

You tube link

https://www.youtube.com/watch?v=n662g-icQXE

Picosong link

http://picosong.com/VYry/

Molvi Sanabil Raza Hashmati says that his wife and father in law are sunni and have nothing to do with deobandis.Further, Molvi Sanabil Raza Hashmati became very angry as his wife, who is a Sunni was called a deobandi by Molvi Zia al Mustafa Rizvi. A question was sent to Dar al Ifta of Manzare Islam, Bareilly. The questioner asked:

“What is the ruling on ‘zayd’, who is an Islamic scholar and knows very well that Wahabis and Deobandis are apostate (kafir wa murtad), but inspite of knowing this, he calls a Sunni Muslim as deobandi? Is it not necessary for him to renew his faith, marriage and spiritual allegiance?

Answer: In the said case, zayd has mazAllah become one of them. He must renew his faith and other things.
As per this fatwa, zayd has become “one of them” that is he is also now a kafir and a murtad.

Now, we leave the matter to the Akhtaris to decide. If sanabil raza hashmati married a deobandi woman, why did zia al Mustafa hide this for so many years? Why is he revealing this now? Since marriage between a Muslim and a Deobandi does not take place, does that mean, Sanabil Raza Hashmati is having an illegal and haram relationship , as per Molvi Zia al Mustafa?

And if Sanabil Raza hashmati has married a Sunni woman, then why has Zia al Mustafa called that woman as “deobandi”? As per the fatwa of Manzare Islam, Bareilly, is Zia al mustafa now a kafir?

The fatwa can be seen below.

क्या मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी काफिर हो गए ?

कुछ महीने पहले मौलवी सनाबिल रज़ा हश्मती रिज़वी ने मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी को "सुलह कुल्ली" कहा। मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी ने खुद तस्लीम किया की मौलवी सनाबिल रज़ा हश्मती रिज़वी ने उन पर "सुलह कुल्ली" होने का इलज़ाम लगाया है।

चाहिए तो यह था की मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी ,मौलवी सनाबिल रज़ा हश्मती रिज़वी से राब्ता क़ायम करते और अपने ऊपर लगाये गए इल्ज़ाम का शरई सबूत मांगते। लेकिन मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी को गुस्सा बहुत जल्द आता है। उन्होंने उल्टा मौलवी सनाबिल रज़ा हश्मती पर इल्ज़ाम लगाते हुए कहा की मौलवी सनाबिल रज़ा की शादी एक देवबंदी घर में एक देवबंदी की लड़की से हुई है। इस पूरे बयान को नीचे दिए हुए वेबलिंक पर सुना जा सकता है।

https://www.youtube.com/watch?v=n662g-icQXE

http://picosong.com/VYry/

मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी के इस बयान से मौलवी सनाबिल रज़ा को बहुत गुस्सा आया। मौलवी सनाबिल रज़ा ने दावा किया की उनकी बीवी और उनके सुसर दोनों सुन्नी हैं और एक सुन्नी सहीहुल अक़ीदा मुसलमान को देवबंदी कहना सही बात नहीं है। बरेली शरीफ के मदरसे मंज़रूल इस्लाम में एक सवाल लिख कर भेजा गया गया। सवाल यह था :

क़्या फ़रमाते हैं उलमा ए दीन व मुफ्तियान शरअ मतीन इस मसले में कि ज़ैद जो एक आलिम है और खूब जानता है कि वहाबी ,देवबंदी काफिर व मुर्तद हैं इस के बावजूद अगर वही आलिम किसी सुन्नी सही उल अक़ीदह मुसलमान को देवबंदी कहे तो इस पर क्या हुक्म शरअ है - क्या इस पर तज्दीद ईमान ,तज्दीद निकाह ,तज्दीद बैयत ज़रूरी नहीं , हुक्म शरअ वाज़ेह फरमा कर इन्दल्लाह माजूर हों ,

फ़क़्त - मुहम्मद निजामुद्दीन रज़ा खान

अल जवाब

सूरत मज़कूरह में ज़ैद भी माज़ल्लाह उन्ही में से हो गया। उस पर तज्दीद ईमान वगैरह लाज़िम

दारुल इफ्ता ,मंज़रे इस्लाम, बरेली

इस पूरे वाक़ियात के बाद कुछ संगीन सवाल उठ कर सामने आये हैं।

1 )मौलवी सनाबिल रज़ा हश्मती रिज़वी ने मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी पर "सुलह कुल्ली" होने का इलज़ाम लगाया । सनाबिल रज़ा पर यह फ़र्ज़ है की अपने इल्ज़ाम को सही साबित करने के लिए शरई सबूत लाएं वरना एक बरेलवी आलिम को "सुलह कुल्ली" कहने के जुर्म में सनाबिल रज़ा पर तौबा फ़र्ज़ है क्योंकि "सुलह कुल्ली " का मतलब यह निकलता है की मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी बरेलवी नहीं रहे और तमाम बाद मज़हबों को सही मानते व जानते हैं। मौलवी सनाबिल रज़ा हश्मती रिज़वी और मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी, में से किसी एक पर तौबा,तज्दीद ईमान व तज्दीद निकाह लाज़िम हैं।

2 )मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी के मुताबिक मौलवी सनाबिल रज़ा हश्मती रिज़वी ने एक देवबंदी घर में एक देवबंदी लड़की से शादी की है। मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी पर यह फ़र्ज़ है की अपने इल्ज़ाम को सही साबित करने के लिए शरई सबूत लाएं। मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी यह भी बताएं की उनको इस बात का इल्म कब हुआ की सनाबिल रज़ा हश्मती ने एक देवबंदी लड़की से शादी की है? अगर इस बात का इल्म पहले से था तो अब तक इस राज़ को छिपा के रखने की क्या मस्लहत थी?

3 ) एक सुन्नी का निकाह एक देवबंदी से जायज़ नहीं। तो क्या मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी के मुताबिक इतने सालों से मौलवी सनाबिल रज़ा हराम काम में मुब्तला हैं?

4) अगर मौलवी सनाबिल रज़ा की बीवी और सुसर सुन्नी हैं, तो मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा रिज़वी ने उनको देवबंदी क्यों कहा? बरेली के फतवे की रोशनी में मौलवी ज़िआउल मुस्तफ़ा भी अब " उन्ही में से हो गए " यानी वह भी काफ़िर हो गए और उन पर तज्दीद ईमान व तज्दीद निकाह ज़रुरी है।



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