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Zia al Mustafa Ridawi Vs Sanabil Raza Hashmati



We have discussed earlier that Molvi Zia ul Mustafa is the biggest fitna of the present time. Readers can read more about him at the below mentioned links:





 Last year (2015), Molvi Zia ul Mustafa Rizvi said that Molvi Sanabil Raza Hashmati is married to a daughter of a deobandi. Details can be read here:



When people contacted the neighbor of this so called deobandi, it was found that the girl and her family is a proper Sunni family. The neighbor, who is a Sunni scholar, testified that he knows this family since long time. This Sunni scholar further said that Molvi Zia ul Mustafa Rizvi is a big fitna of the present time and that he is the main culprit behind Ashrafi- Ridawi conflict,   Ashrafiya Mubarakpur- Bareilly conflict. When this audio clip was released people came to know that Molvi Zia ul Mustafa is a liar and a fitna, who has a habit of accusing people. The clip can be heard at this link:




 It should be known that both, molvi Zia ul Mustafa rizvi and molvi Sanabil Raza Hashmati are members of Akhtari cult. But Molvi Zia ul Mustafa Rizvi is closer to the cult leader Mufti Akhtar Raza Azhari Rizvi. In the last few months the jahil murideeen of Mufti Akhtar Raza Azhari Rizvi and Molvi Zia ul Mustafa Rizvi clubbed together to attack Molvi Sanabil Raza Hashmati . They released many videos on Youtube, attacking Khankah e Hashmatiya (situated at Pilibheet, India).  In this way the dirty conflict of Akhtari cult became public.  In one such video the followers of Molvi Zia ul Mustafa Rizvi said that scholars from Khankah e Hashmatiya allow women to visit graves, where as it should not be allowed.

It should be noted that women do visit the grave of Imam Ahmad Raza Khan at Bareilly. In fact there is a dedicated place for women to sit near the grave. This space is behind a thick curtain. Moreever, in many public gatherings where Mufti Akhtar Raza Rizvi is present, women come to his gathering to become his mureeda. There are many posters released by Akhtari cult in which it is clearly stated that there is a separate seating arrangement for ladies. These gatherings usually take place at night.

 Soon, the followers of Molvi Zia ul Mustafa Rizvi and Mufti Akhtar Raza Azhari Rizvi started persuading public that no one from the Hashmati side should be invited for the public lectures. In this way Molvi Sanabail Raza Hashmati, his brother Molvi Shamail Raza Hashmati and their father Maulana Idrees Raza Hashmati were boycotted by the followers of Mufti Akhtar Raza Rizvi and Molvi Zia ul Mustafa Rizvi.

In one gathering Molvi Zia ul Mustafa Rizvi said something objectionable against the peer of Maulana Idrees Raza Hashmati.  It should be known that Akhtari cult members in general and Molvi Zia ul Mustafa Rizvi in particular are known for using foul language. Maulana Idrees Raza Hashmati, son of Hazrath Allama Hashmat Ali Khan alayhi rahma, could not tolerate this disrespect towards his peer. He openely refuted Molvi Zia ul Mustafa Rizvi, in which he said “O sun le Zia ul Mustafa, hum tujhey chodegein nahee….O kabeer, O sagheer…kisi ka bhee beta ho….uske dalaal wo bhee sun lein”… From the stage “hum tujhey maaf nahi karegein….. ayyashian ho rahee hain…tu ladkion ke saath kya kar raha hai…..sharam kar kis ka beta hai…kya kar raha hai…..”

The audio clip can be heard here:






 When this audio clip went viral, Akhtari cult was shocked. They knew that the character of Zia ul Mustafa will soon be exposed by the Hashmati side. They realized that soon people will start investigating the scandals of girls madrasa which is run by Molvi Zia ul Mustafa Rizvi at Ghosi! (Fatwa Ridawiya says girls should not be taught how to write) and also the different episodes of Molvi Zia ul Mustafa rizvi which he did during his youth.

The matter was taken to the cult leader Mufti Akhtar Raza Rizvi, who immediately issued an audio clip along with a written statement, asking both the parties to contact him so that the internal fight of the Akhtari cult can be stopped. It can be heard here:











 We don’t know what will be the outcome of this peace proposal. But everyone who has some knowledge about the Akhtari cult knows about the character of Molvi Zia al Mustafa Rizvi.What Mawlana Idrees Raza Hashmati has said about Molvi Zia ul Mustafa, there is truth in it.  Sunni Muslims fear Allah that is why they do not expose the character of Molvi Zia al Mustafa Rizvi.  Unlike the Akhtari Cult, Sunni Muslims do not indulge in personal attacks. Molvi Zia ul Mustafa Rizvi should realize that he should stops making fitna, otherwise someone may expose him, like Wahabi speaker Jarjeesh was exposed.


Asjad Raza is very happy with this internal fight. He knows after the death of his father Mufti Akhtar Raza Rizvi, he is going to be the cult leader. Asjad Raza doesn’t want people to become mureed with any one else. That is why he is removing all present peer and future peers . We will write about this later, In sha Allah.


 ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी बनाम  सनाबिल रज़ा  हशमती


बहुत से लोगों ने ई -मेल  के ज़रिये  हम से राब्ता किया और हिंदी में लिखने की दरख्वास्त  की।  इसलिए हम इस मज़मून  को हिंदी में लिख रहे हैं



यह  बात किसी  से छिपी  नहीं है की मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी इस ज़माने का सबसे बड़ा फ़ितने  बाज़ है।  हमने इस से पहले भी  मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी की हरकतों का पर्दा फ़ाश  किया है। 

 पिछले साल, ( 2015 ) मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी ने  मोलवी  सनाबिल हशमती पर  यह इल्ज़ाम  लगाया की उन्होंने  एक देवबंदी की लड़की से शादी की है।  यानी मोलवी  सनाबिल हशमती के ससुर  सुन्नी  मुस्लमान नहीं बल्कि एक देवबंदी है।  इस मामले  को लेकर खूब कहा सुनी हुई और  मामला फतवा ए   कुफ़्र  तक पहुँच गया।  इस की तफ्सील  इस वेबलिंक  पर  पढ़ी व सुनी जा सकती है :




कुछ  महीने  पहले , मोलवी सनबिल  हशमती के मुरीदों  ने मोबाइल फ़ोन की एक गुफ्तगू  सोशल मीडिया पर  जारी किया।   इस  गुफ्तगू  के  मुताबिक  मोलवी  सनाबिल हशमती के ससुर कोइ देवबंदी नहीं बल्कि एक सही उल  अक़ीदा  सुन्नी मुसलमान हैं। उनके पड़ोसी , जो की एक आलिम  ए दीन  हैं , उन्होंने  गवाही दी की , वो एक ज़माने  से मोलवी  सनाबिल हशमती के ससुर के पड़ोस  में रहते  आये  हैं और वो इस बात की तसदीक़ करते हैं की मोलवी सनबिल  हशमती के ससुर  सुन्नी मुसलमान  हैं।  इस पड़ोसी  ने यह  भी कहा की मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी  इस ज़माने  का सबसे  बड़ा  फ़ितना है  जिसकी वजह से अशरफी -रिज़वी    इख़्तिलाफ़  और  अशरफिया मुबारकपुर और बरेली का इख़्तिलाफ़  हुआ।  इस गुफ्तगू को इस वेबलिंक पर सुना जा  सकता है :



  https://youtu.be/fm2b2H_iuk4




इस फ़ोन की गुफ्तगू के आम हो जाने के बाद अक्सर लोगों को इस बात का यकीन हो गया की मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी एक झूठा व मक्कार शख्स है जिसकी आदत लोगों पर  झूठा इल्ज़ाम लगने की है।

यह बात मालूम रहनी चाहिए की मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी और मोलवी सनाबिल   हशमती , दोनों  ही  अख्तरी  फ़िरक़े  का हिस्सा हैं। लेकिन मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी , अख्तरी  फ़िरक़े के बानी  मुफ़्ती अख्तर रज़ा रिज़वी  के ज़्यादा  क़रीब  हैं , इसलिए  उनकी बात ज़्यादा सुनी जाती  है। 
 
पिछले  कुछ महीनों में मुफ़्ती अख्तर रज़ा रिज़वी और मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी के जाहिल  मुरीदों  ने  मिलकर मोलवी सनाबिल   हशमती पर  इंटरनेट  और सोशल  मीडिया  पर खूब हमला  किया।  इन जाहिल  मुरीदों  ने खानकाह    हशमतिया , पीलीभीत  पर भी खूब हमला किया।  यू  ट्यूब पर  जारी एक वीडियो में  इन जाहिल मुरीदों  ने यह भी इलज़ाम लगाया की  खानकाह    हशमतिया , औरतों  को मज़ार पर  जाने  की इजाज़त देता है , जबकि  ऐसा  नहीं होना चाहिए।  इस बात की हकीकत  तो खानकाह    हशमतिया के लोग ही  बता  पायेगें  लेकिन  हम  यह ज़रूर बताना चाहेगें  की बरेली  में इमाम अहमद  रज़ा रहमतुल्लाह  अलैह की दरगाह  पर  औरतों  की हाज़री होती है और उनके बैठने  के लिए ख़ास इंतज़ाम भी है , जो परदे के पीछे  का हिस्सा है। साथ ही मुफ़्ती अख्तर रज़ा रिज़वी के जलसों  में औरतें  भी  हाज़िर होती हैं ताकि मुफ़्ती अख्तर रज़ा रिज़वी के हाथ पर मुरीदा  बन सकें। हमारे पास जमाअत ए  रज़ा    मुस्तफ़ा  के जारी किये पोस्टर मौजूद हैं जिसमें  औरतों  को मुफ़्ती अख्तर रज़ा रिज़वी के जलसे  में आने  की  दावत  दी गयी है। औरतों का रात के जलसे में आना कितना मुनासिब  है यह  तो अख्तरी फ़िरक़े वाले ही बता पायेगें।
 

मुफ़्ती अख्तर रज़ा रिज़वी और मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी के मुरीदों  ने लोगों में  यह बात फैलानी  शुरू कर दी की  हशमती गुट  के  मुकर्रिर  को  तक़रीर  के लिए न बुलाया  जाये।   इस तरह  मोलवी सनाबिल   हशमती, उनके भाई  मोलवी शमाईल हशमती और इन दोनों  के वालिद मौलाना  इदरीस  हशमती  के खिलाफ  एक मुहिम  चलायी गयी। मुफ़्ती अख्तर रज़ा रिज़वी और मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी के मुरीदों  ने  हशमतियों  का बॉयकॉट  करना व करवाना  शुरू कर दिया।

 मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी ने अपनी  एक गुफ्तगू  में मौलाना  इदरीस  हशमती के पीर साहब  के खिलाफ कुछ बातें  कह दीं।  यह बात सब को मालूम है की  अख्तरी  फ़िरक़े के लोग गन्दी और गाली गलौज  की ज़ुबान  इस्तेमाल करते हैं  लेकिन मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी इस में कुछ ज़्यादा ही माहिर हैं।

मौलाना  इदरीस  हशमती , जो की  हज़रत  अल्लामा  हशमत अली खान रहमतुल्लाह  अलैह  के बेटे हैं , उनको अपने पीर  के खिलाफ मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी की  बातें  पसंद न आईं। मौलाना  इदरीस  हशमती ने   मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी के खिलाफ  तक़रीर  करते हुए कहा "    सुन ले ज़िया उल  मुस्तफ़ा, हम तुझे  छोड़ेंगें  नहीं .. . ओ  कबीर  ओ सग़ीर ..... किसी का भी बेटा  हो....... उसके दलाल  वो भी सुन लें. ....."   आगे उसी स्टेज से यह भी कहा गया " अय्याशियां हो रही हैं .... तू लड़किओं  के साथ  क्या कर रहा है..... शर्म  कर  किस का बेटा है ...  क्या कर रहा है। "

इस  तक़रीर को यहाँ सुना जा सकता है :









जैसे ही यह तक़रीर  सोशल मीडिया में  आम हो गयी, अख्तरी  फ़िरक़े में एक ज़लज़ला  सा  आ गया ! यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है की  मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी  अपने कस्बे  घोसी  में लड़कियों  का एक मदरसा  चलाते हैं, जहाँ  बहुत सी गलत बाते होती हैं।  मौलाना  इदरीस  हशमती ने इसी  की तरफ इशारा करते हुए  कहा "अय्याशियां हो रही हैं .... तू लड़किओं  के साथ  क्या कर रहा है...... " . अख्तरी  फ़िरक़े को इस बात का एहसास हो गया की अगर हशमतियों  को रोका  नहीं गया तो  यह  लोग अंदर  की  सारी  बातें अव्वाम तक पहुंचा देंगें। कुछ लोगों  ने इस बात  का भी खौफ ज़ाहिर किया की कहीं मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी की जवानी  के कारनामे  मंज़रे  आम पर  न आ जाएं।  इन सब बातों  को नज़र में रखते हुए अख्तरी फ़िरक़े  के बानी मुफ़्ती अख्तर रज़ा रिज़वी ने एक सुलह नामा  जारी किया  जिसमें  मोलवी  सनाबिल हशमती और मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी को अपना अपना  इलज़ाम  और जवाब  हाज़िर  करने को कहा गया है। इस सुलहनामे  को यहाँ पढ़ा व सुना जा सकता है :






यह गौर  करने  की बात है की मोलवी ज़िया उल  मुस्तफ़ा रिज़वी सुन्नी मुसलमानों  को " सुलह  कुल्ली " कहा करते थे , लेकिन आज खुद उन्ही  के फ़िरक़े के लोग, उन्हें  सुलह कुल्ली कह रहें  हैं ! अल्लाह  ज़ालिमों को और झूठों  को ज़लील करे।  आमीन








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